संदेश

मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत की पहली अंतरिक्ष यात्री।

चित्र
कल्पना चावला, भारत की पहली अंतरिक्ष यात्री। (Kalpana Chawla, India's first astronaut) First astronaut of India "Kalpna Chawla" आज हम बात करेंगे, अंतरीक्ष की परी कहें जाने वाली भारत(India) की एक बहादुर बेटी की, जिसका नाम है कल्पना चावला। कल्पना चावला का जन्म भारत(India) में हरियाणा(Hariyana) के करनाल में हुआ था। कल्पना चावला अंतरीक्ष में जाने वाली पहली भारतीय थीं। उनके पिता का नाम बनारसी लाल ओर माता का नाम संज्योति है। बचपन में सब लोग उन्हें प्यार से मोंटू कह कर बुलाते थे। वह उनके नाम के अनुरूप ही बहुत बड़ी कल्पना भरी सोच रखतीं थी। अपने पिता से विमान और चांद – तारों की बातें किया करती थी। Advertise : show me भारत(India) से अमेरिका(America) तक का सफर। Kalpana Chawla कल्पना की प्रारंभिक शिक्षा करनाल की टैगोर विद्यालय में हूई, फिर कल्पना ने 1982 में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से एरौनोटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। उसके बाद वो अपने सपनों को पूरा करने अमेरिका चली गई। जहां उन्होंने कोलोराडो विश्वविद्यालय से पीएचडी(PHD) की उपाधि प्राप्त की। कल्पना चावला को साल 19...

चूंदड़ी वाले माताजी का 91 साल की उम्र में हुआ निधन

चित्र
चूंदड़ी वाले माताजी 91 साल की उम्र में ब्रह्म लिन्न हूए। Image of chundadi vale mataji पिछले 80 साल से अन्न – जल बिना जीतें चूंदड़ी वाले माताजी, 91 साल की उम्र में ब्रह्मलिन्न हुए। चूंदड़ी वाले माताजी का नाम प्रहलाद जानी है। इन्होंने अपने गांव चारबाग में अंतिम सांस लिए। 28 मई, 2020 को अंबाजी में चूंदड़ी वाले माताजी को समाधि दी जाएगी। Advertise : show me चूं दड़ी वाले माताजी ने पिछले 80 सालों से अन्न और जल नहीं लिया। चूंदड़ी वाले माताजी (प्रहलाद जानी) अब आपको बताते है कि कौन थे चूंदड़ी वाले माताजी ? गुजरात के चारडा में 13 अगस्त, 1929 को पैदा हुए प्रहलाद जानी, तब मात्र 10 साल के थे, जब चमत्कारिक घटनाक्रम के चलते उनकी भूख – प्यास चलीं गईं, और ना ही मल-मूत्र विसर्जन की आवश्यकता पड़ी। यह सिलसिला पूरे 80 वर्ष से क़ायम रहा। और 26 मई, 2020 के दिन उनका निधन हुआ।वह न केवल भूख-प्यास से उपर उठें, बल्कि उन्हें दिव्य दृष्टि भी प्राप्त हूई। दशक तक तिर्थायात्रा करते रहे, 3 साल तक उन्होंने कैलाश पर्वत पर तपस्या की और 25 साल तक वह मौन रहें। साधना की प्रोढ अवस्था में तपस्या के लिए...

हनुमान चालीसा में लिखा है, पृथ्वी और सूरज काम अंतर

चित्र
हनुमान चालीसा में लिखा है पृथ्वी और सूर्य का अंतर Bal hanuman क्या आप जानते हैं भारत ने हजारों वर्ष पहले ही पृथ्वी से सूर्य की दूरी बतादी थी। अगर नहीं जानते तो मैं यह बतादु की आप एक ऐसी संस्कृति से आते हैं जिसका अध्ययन पूरा विश्व कर रहा है। यहां तक कि नासा(NASA) भी उसको मानने पर मजबूर हो गया है। आज बात करेंगे हनुमानजी के एक चमत्कार के बारे में जिसने अमेरिका तक को हिला के रख दिया, जैसे – जैसे विज्ञान तरक्की करता जा रहा है, हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी कइ बातें सही साबित होती जा रही है। यह प्रमाणित करता है कि भारतीय संस्कृति दुनिया को हजारों सालों पहले ही ब्रह्मांड के बारे में जानकारी दें चूंकि थी। राम मंदिर निर्माण के दौरान मिले मंदिर के अवशेष। Advertise : show me Image of hanumana & Shiva आज हम आपको हनुमानजी के एक ऐसे चमत्कार के बारे में बताने जा रहे है, जिसके बारे में जानकर आपको भी यकीन हो जाएगा की ईश्वर के चमत्कार के आगे मनुष्य का कोई मोल नहीं है। तो आईए जानते हैं, आखिर हनुमानजी ने ऐसा कोनसा चमत्कार किया था? जिसने नासा (NASA) के वैज्ञानिकों को भी फेल कर दिया...

राम मंदिर निर्माण में मिलें अवशेष

चित्र
अयोध्या(India) में श्रीराम मंदिर निर्माण के दौरान मिले 2000 साल पूराने अवशेष श्रीराम अयोध्या(India) में प्रभु श्रीराम के मंदिर का कार्य शुरू होने के ग्यारहवें दिन ही मिलें पुराने मंदिर के अवशेष। इनमें मिलें अवशेषों में स्तंभ, चक्र, शंख, शिवलिंग, मूर्तियां, ब्लेक स्टोन, और ढ़ेर सारी कलाकृतियां सामिल है। Advertise : show me श्रीराम मंदिर ट्रस्ट ने दावा किया है कि , जैसे जैसे मंदिर निर्माण का काम आगे बढ़ेगा वैसे और भी ज्यादा अवशेष मिलेंगे। उन्होंने इन अवशेषों को संरक्षित करने की मांग की है, जिस से कि और लोग भी मंदिर के बारे में जान सके। इन अवशेषों के मिलने से यह साबित होता है कि, यहां पहले एक भव्य राम मंदिर था। जिसे गिराकर विदेशी आक्रांताओं ने वहां मस्जिद का निर्माण किया। इन अवशेषों के मिलने से यह बात साफ हो गई, की सुप्रिम कोर्ट का फैसला सही था। हनुमान चालीसा में लिखा है पृथ्वी और सूरज का अंतर। अवशेषों की जांच से पता चला है कि यह 2000 साल पुराने है और इस मंदिर का निर्माण 6वीं सताब्दि में हुआ था। हमारी इन पोस्ट को भी जरूर पढ़ें। बायोग्राफी ओफ सुंदर...

स्वयं महादेव ने बचाई थी अंग्रेज अफसर की जान।

चित्र
स्वयं महादेव ने बचाई थी अंग्रेज अफसर की जान। बैजनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश आज हम आपको एक ऐसी घटना से रुबरु कराएंगे जिससे देवों के देव महादेव के प्रति आपका विश्वास और अटूट हो जाएगा। 1879 में स्वयम महादेव ने बचाई थी अंग्रेज अफसर की जान, और उस अफसर ने करवाया था महादेव के मंदिर का नवीनीकरण। महादेवजी जैसा दयालु इस पूरे ब्रह्मांड में कोई नहीं है। आज एक एसी सत्य घटना बताने जा रहे हैं, जो अंग्रेज शासन के समय की है। इस कहानी को एक अंग्रेज अफसर ने अपनी किताब में लिखा है। पूरी कहानी जानने के बाद आपको यकीन हो जाएगा की भक्ति में बहुत शक्ति है। और सच्चे मन से महादेव को याद किया जाएं तो महादेव जरुर आते हैं। सन् 1879 में भारत पर अंग्रेजों की हुकूमत थी, बहुत से अंग्रेज अपने पूरे परिवार  सहित भारत में ही रहते थे। ऐसा ही एक परिवार था लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन का, यह एक सादी-सुदा नया जोड़ा था। कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश के आगर में रहते थे। आगर में महादेव का कइ सालों पुराना बैजनाथ मंदिर था, उस मंदिर में कर्नल मार्टिन की पत्नी कभी गई नहीं थी। लेकिन मंदिर के बाहर से निकलते वक्त ...

सात चक्र

चित्र
7 चक्र           सबसे पहले बात करते हैं योग की, जैसे कि सब जानते ही हैं कि योग भारत की देन हैं। प्राचीन काल में ऋषि- मुनियों द्वारा किए गए तप और ध्यान से मिली शक्तियों में से एक योग है, जिसे उन्होंने प्राचीन ग्रंथों के स्वरूप में हम सब तक पहुंचाया है। Advertise : show me           आज भारत के राजदूत श्री अशोक कुमार मुखर्जी द्वारा संयुक्त राष्ट्र में “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” पर एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया। जिस प्रस्ताव को 177 राष्ट्रों से समर्थन मिला। किसी भी UGNA(United Nations General Assembly) संकल्प के लिए सबसे अधिक सह-प्रायोजक हैं। अब हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाया जाता है।              अब बात करते हैं मानव शरीर में मौजूद 7 चक्रों की, भारत में 1500 और 500 ईसा पूर्व के बिच चक्र प्रणाली की उत्पत्ति वेदों में हुई थी। चक्रों, मंत्रों के साक्ष्य श्री जाबाल दर्शन उपनिषद, कुदामिनी उपनिषद, योग-शिखा उपनिषद, और शांडिल्य उपनिषद में पाया जाता हैं। बिना अन्न और जल के 91 ...

सोनभद्र जिले में मिला 3000 टन सोना

चित्र
सोनभद्र में मिला 3000 टन सोना (12 लाख करोड़ रुपए है कीमत)   सोनभद्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। सोनभद्र भारत का एक मात्र ऐसा जिला है जिसकी सरहद चार राज्यों को मिलती हैं, उन चार राज्यों के नाम मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, और बिहार हैं। Advertise : show me भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले मैं लगभग 3000 टन सोना मिला है। जो भारत के पास मोजूदा स्वर्ण भंडार का 5 गुना है। कोहिनूर की कहानी जिला खनन अधिकारी श्री. के. के. रायजी ने बताया कि यहां सोन पहाड़ी और हरदी इलाके में सोने के भंडार मिले हैं। सोन पहाड़ी में करीब 2943.26 टन और हरदी इलाके में 646.16 टन सोना मिला है। कब शुरू होगी खूदाई ? जिला खनन अधिकारी श्री. के. के. रायजी ने बताया कि सोने के भंडार का पता लगाने का काम पिछले बीस सालों से चल रहा था। इन ब्लोक की ई-टेंडर के जरिए नीलामी की प्रक्रिया जल्द ही आरंभ होगी। भारत के पास कितना सोना है ? विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार भारत के पास इस समय 626 टन स्वर्ण भंडार है। सोने का नया भंडार इससे करी...

कोहिनूर की कहानी

चित्र
कोहिनूर की कहानी भारत मे विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा बड़ी मात्रा में लुटे गए आभुषण और वस्तु में एसी भी धरोहर थी जो आज ना सिर्फ बेशकीमती थी बल्कि उस कालखंड में भारत की समृद्धि और संपन्नता का वणॅन सर्वण अक्षरों में किया करतीं थीं।16वी सताब्दि में दक्षिण अफ्रीका और ब्राजिल में हीरे की खदानों का पता चलने से पहले दुनिया भर में भारत की गोलकोंडा खदान से निकले हीरो की धाक थी। लेकिन यहां से निकले ज्यादातर हीरे, या तो लापता हैं या फिर विदेशी संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रही हैं। और इन्हीं हीरो में से एक कोहिनूर हीरा था। सभी प्रकार के हीरो में ये सबसे प्रसीद्ध, पूराना, और यह जगमगाता हीरा अत्यंत ही बेशकीमती था। Advertise : show me            हम आज आपको इस कोहिनूर हीरे की पूरी कहानी बताएंगे। की कहा से ये निकला? किन-किन राजा-महाराजाओं के पास ये गया? कितने समय तक उनके पास रहां ? किन्होने इसे लुटा ? तो फिर किन्होंने इसे महेंगे स्वरुप में किसीको भेंट दिया ? और कोनसे देश है जो आज भी इस हीरे को अपना होने का दावा करते हैं ? 3000 टन सोना। Image of kohinoor(...

सोनभद्र गुफा से जुड़े खजाने के रहस्य।

चित्र
सोनभद्र गुफा से जुड़े खजाने के रहस्य। Image of rajgir  बिहार का छोटा सा शहर राजगीर जो कि नालंदा जिले में स्थित हैं, कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है। यह शहर प्राचीन समय से मगध की राजधानी था। यही पर भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिंबिसार को धर्मोंदेस दीया था। यह शहर बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इसी राजगीर में है सोनभंडार गुफा, जिसके बारे में केवदन्ति है, की इसमें  बेशकीमती खजाना छिपा है। जिसे की आज तक कोई नहीं खोज पाया है। Advertise : show me सम्राट बिंबिसार ने कहा छुपाया था वो खजाना ? यह खजाना मोर्य शासक बिंबिसार का बताया जाता है। हालांकि कुछ लोग इसे पूर्व मगध सम्राट जरासंध का भी बताते हैं। हालांकि इस बात के ज्यादा प्रमाण हैं की ये खजाना बिंबिसार का ही है। क्यूंकि इस गुफा केू पास उस जेल के अवशेष हैं, जहां पर बिंबिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु  ने बंदी बना कर रखा था। बिंबिसार को धन और वैभव का बहोत शोख था और इनको वह संग्रह भी करते थे। ऐसा माना जाता है कि सम्राट बिंबिसार ने अपनी पत्नी से एक खास जगह उन सोने के खजानों को छिपा दिया। ...