सोनभद्र गुफा से जुड़े खजाने के रहस्य।

सोनभद्र गुफा से जुड़े खजाने के रहस्य।

Rajgir city of bihar
Image of rajgir 
बिहार का छोटा सा शहर राजगीर जो कि नालंदा जिले में स्थित हैं, कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है। यह शहर प्राचीन समय से मगध की राजधानी था। यही पर भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिंबिसार को धर्मोंदेस दीया था। यह शहर बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इसी राजगीर में है सोनभंडार गुफा, जिसके बारे में केवदन्ति है, की इसमें  बेशकीमती खजाना छिपा है। जिसे की आज तक कोई नहीं खोज पाया है।


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सम्राट बिंबिसार ने कहा छुपाया था वो खजाना ?

यह खजाना मोर्य शासक बिंबिसार का बताया जाता है। हालांकि कुछ लोग इसे पूर्व मगध सम्राट जरासंध का भी बताते हैं। हालांकि इस बात के ज्यादा प्रमाण हैं की ये खजाना बिंबिसार का ही है। क्यूंकि इस गुफा केू पास उस जेल के अवशेष हैं, जहां पर बिंबिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु  ने बंदी बना कर रखा था। बिंबिसार को धन और वैभव का बहोत शोख था और इनको वह संग्रह भी करते थे। ऐसा माना जाता है कि सम्राट बिंबिसार ने अपनी पत्नी से एक खास जगह उन सोने के खजानों को छिपा दिया।

Gold cave of india
Image of sonbhadra's gufa

क्यूं गुफ़ा में छिपे दरवाजे को कोइ नहीं खोल पाया ?

इस गुफा में उस खजाने का नक्शा और संबंधित जानकारी को शंखलीपी में लिखीं गई है। लेकिन उस को इनक्रिप्ट कर लिखा गया है। आज तक उसको कोई डिस्क्रिप्ट नहीं कर पाया है।

सोनभंडार गुफा में प्रवेश करते ही  10.4 मीटर लंबा, 5.2 मीटर चौड़ा, तथा 1.5 मीटर ऊंचा एक कक्ष आता है। यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए था। इसी कमरे की पीछली दिवाली से खजाने तक पहुंचने का रास्ता जाता है। इस रास्ते का प्रवेशद्वार पत्थर की एक बहुत बड़ी चट्टान नूमा दरवाजे से बंध किया हुआ है। इस दरवाजे को आज तक कोई नहीं खोल पाया है। गुफा की एक दीवार पर शंखलीपी में कुछ लिखा है। जो कि आज तक पढा नहीं जा सका है। कहा जाता है कि इस मैं ही इस दरवाजे को खोलने का तरीका लिखा है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि खजाने तक पहुंचने का यह रास्ता वैभवगीरी पर्वत सागर से होकर सप्तपरणि गुफाओं तक जाता है। जो कि सोनभंडार गुफा के दूसरी तरफ तक पहुंचती है।

ऐतिहासिक धरोहर सोनभंडार


अंग्रेजो ने एक बार तोप से इस चट्टान को तोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन वह उसे तोड नहीं पाएं। तोप के गोले का निशान आज भी चट्टान पर मौजूद है। इस सोनभंडार गुफा के पास  ऐसी ही और एक गुफा है। जो कि आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसका सामने का हिस्सा गिर चुका है। इस गुफा की दक्षिणी दीवार पर 6 जैन तीर्थंकरों की मूर्तिया उकेरी गई है। दोनों गुफाऐ तीसरी और चौथी सताब्दी लिखाचट्टानों को काटकर बनाईं गई है। दोनों ही गुफाओं के कमरे पोलिश किए हुए हैं। जो कि इन्हें विशेष बनातीं है। क्योंकि इस तरह से पोलिश कि हुई गुफ़ाएं भारत में बहुत ही कम है। इस बात के भी प्रमाण है की ये गुफाएं कुछ समय के लिए वैश्णव संप्रदाय के अधीन भी रहीं थीं। क्युकी इन गुफाओं के बाहर एक विष्णुजी की प्रतिमा मिली थी। विष्णुजी की ये  प्रतिमा उन गुफाओं के बाहर स्थापित कि जानीं थी। पर मूर्ति कि फिनिशिंग काम पूरा होने से पहले ही उन लोगों को किसी कारण वश यह जगह छोड़कर जाना पड़ा। और ये  मूर्त्ति  बिना स्थापना के रह गई ।

सोनभंडार गुफा में मोजूद प्राचीन कलाकृतियां और इनक्रिप्टेड शंखलिपि।

वर्तमान में ये मूर्ति  नालंदा म्युजियम में रखी है। क्यु अधूरा छोडा  और क्र्यू अभी तक कोई उस खजाने को ढूंढ नहीं पाया वो आज भी रहस्य ही बना हुआ हैं।

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