महादेव किसका ध्यान करते हैं ?

महादेव किसका ध्यान करते हैं ?

The Lord shiva
ॐ नमः शिवाय

हिंदू धर्म के जो देवी-देवता हैं, उसमें सर्व श्रेष्ठ स्थान, सबसे ऊंचा स्थान हैं देवाधिदेव महादेव भगवान शिव का। उनकी महिमा को तो सबने स्वीकार किया, फिर चाहे वो ब्रह्म देव हो, श्री हरि विष्णु हों या अन्य देवी-देवता हो। शिव की महिमा के सामने सभी नतमस्तक हुए, पर कभी आपने सोचा है, जो सभी देवी-देवताओं के भी आराध्य हैं, देवों के देव है वह स्वयं किस की अराधना करते हैं, वह स्वयं किस का ध्यान लगाते हैं?
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भोलेनाथ

कैलाश में शिव समाधि स्थल पर बैठ कर, चोबीसो घंटे ध्यान समाधि में लीन भगवान शिव के मन में किस का ध्यान रहता है? किस ध्यान से ऊर्जा की शक्ति प्राप्त करते हैं भोलेनाथ ?

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यह प्रश्न केवल आपके और हमारे मन में नहीं है

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हर हर महादेव।

यह प्रश्न केवल आपके और हमारे मन में नहीं है, माता गौरी के मन में भी यही प्रश्न है, कि शिव किस का ध्यान लगाते हैं ? जिसे सारा विश्व पुजता है। हर हर महादेव और ॐ नमः शिवाय कह कर सारा विश्व उनको नमस्कार करता है, प्रणाम करता है, चिंतन करता है, ध्यान करता है, वह शिव स्वयं किस का ध्यान करते हैं? और यह बात महादेवी पार्वती जी ने जब भोलेनाथ जी से पूछी तो भोलेनाथ जी ने कहां “देवी शीघ्र ही इस का उत्तर दुंगा” और उस घटना के, उस प्रश्न के कुछे समय बाद, बुद्ध कौशिक नाम के एक ॠषी को महादेव जी ने एक स्वप्न दिया। और स्वप्न मे एक निर्देष दिया। निर्देष में श्री राम रक्षा स्तोत्र लिखने की आज्ञा दे दी। बुद्ध कौशिक जी ने उनसे विनम्र प्रार्थना स्वप्न में ही की, की में इस को लिखने में सक्षम नहीं हूं। तब शिवजी ने श्री राम रक्षा स्तोत्र स्वप्न में ही ॠषी बूद्ध कौशिक जी को सुनाया और बुद्ध कौशिक ॠषी ने उसको लिख दिया।

Baijnath
ॐ कार

इस श्री राम लक्ष्य की अंतिम पंक्ति को आप जरा ध्यान से पढ़िए। क्या कहते हैं भगवान शिव और लिखवाने वाले तो भगवान शिव ही हैं और क्या लिखते हैं ॠषी बुद्ध कौशिक जी।

“ राम रामेति रामेति रम रामे मनोरमे।
सहस्त्रनाम त्ततुल्यं रामनाम वरानने।”

कौन भक्त हैं और कौन भगवान ?

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जय श्रीराम

शिव अपनी पत्नी माता गौरी से कहते हैं, हे सूमुखी “राम नाम, विष्णु सहस्र नाम के बराबर है” इस कारण में सदा सर्वदा राम, राम, राम, मनोरम राम नाम में ही रमण करता हूं। तो यह स्पष्ट उत्तर है इस प्रश्न का, की देवाधिदेव भगवान शिव किसका ध्यान करते हैं, तो वे भगवान श्रीराम का ध्यान करते हैं। और यह एक अद्भुत संयोग है, अद्भुत युति हैं। जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, क्यूंकि श्रीराम स्वयं शिव की आराधना करते हैं। चाहे रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की बात हो या कही भी बिना शिव को प्रणाम किए, राम नेअपने चरण कभी उठाएं ही नहीं, और शिव राम का स्मरण करते हैं। और राम शिव का स्मरण करते हैं। तो शिव राम का और राम शिव का यह अद्भुत है, कौन भक्त हैं और कौन भगवान।

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