हनुमान चालीसा में लिखा है, पृथ्वी और सूरज काम अंतर

हनुमान चालीसा में लिखा है पृथ्वी और सूर्य का अंतर

Hanumanji ke chamatkar
Bal hanuman

क्या आप जानते हैं भारत ने हजारों वर्ष पहले ही पृथ्वी से सूर्य की दूरी बतादी थी। अगर नहीं जानते तो मैं यह बतादु की आप एक ऐसी संस्कृति से आते हैं जिसका अध्ययन पूरा विश्व कर रहा है। यहां तक कि नासा(NASA) भी उसको मानने पर मजबूर हो गया है।

आज बात करेंगे हनुमानजी के एक चमत्कार के बारे में जिसने अमेरिका तक को हिला के रख दिया, जैसे – जैसे विज्ञान तरक्की करता जा रहा है, हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी कइ बातें सही साबित होती जा रही है। यह प्रमाणित करता है कि भारतीय संस्कृति दुनिया को हजारों सालों पहले ही ब्रह्मांड के बारे में जानकारी दें चूंकि थी।राम मंदिर निर्माण के दौरान मिले मंदिर के अवशेष।

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Hanuman sundarkand
Image of hanumana & Shiva

आज हम आपको हनुमानजी के एक ऐसे चमत्कार के बारे में बताने जा रहे है, जिसके बारे में जानकर आपको भी यकीन हो जाएगा की ईश्वर के चमत्कार के आगे मनुष्य का कोई मोल नहीं है। तो आईए जानते हैं, आखिर हनुमानजी ने ऐसा कोनसा चमत्कार किया था? जिसने नासा (NASA) के वैज्ञानिकों को भी फेल कर दिया, पूरी अमेरिका को हिला के रख दिया। जब से सृष्टि बनीं है तभी से मनुष्य चांद – सूरज को छूने की लालसा रखता है, चांद को छूने में उसने सफलता भी पाली है लेकिन सूरज को छूना तो दूर, उसके करीब तक पहुंचना मनुष्य के बस की बात नहीं लगती है, क्यूंकि सूरज का तापमान सहन करने की क्षमता किसी में नहीं है।

वही श्रीराम भक्त हनुमानजी ने यह कारनामा  करीबहजारो साल पहले ही कर दिखाया था। यही नहीं उन्होंने सूरज को फल समझकर खां भी लिया था। अमेरिका, रुस, चीन, जापान की अंतरीक्ष एजेंसियों सहित कई विकसित देश सूरज तक पहुंचने में लगे हुए हैं। लेकिन किसी को आज तक सफलता नहीं मिली है।

अब हम बात करते हैं, हनुमान चालीसा की जिसमें तुलसीदास जी ने बताई थी सूरज और पृथ्वी की दूरी, जिसे आज नासा (NASA) प्रमाणित कर चुका है और वह खुद भी हैरान हैं।

“जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लिल्यो ताहि मधुर फल जानू।”


एक युग बराबर होता है 12,000 साल, सहस्र बराबर होता है 1000 साल, 1 योजन बराबर होता है 8 मील (1 मील = 1.6 कि.मी)। अब हमको गुणा करने की आवश्यकता है युग, सहस्त्र और योजन की, इसका गुणा करने पर हम पाते हैं 9,60,000 मील अब हम इनकी गुणा करते हैं, 1.6 कि.मी से, अब आप देखेंगे इनकी गुणा करने पर जो दूरी हमें प्राप्त हूई है वह लगभग 1,53,60,00,000 कि.मी ( 153 मिलियन किलोमीटर) है। नासा(NASA) ने जो दूरी बताई है वह भी 153 मिलियन किलोमीटर ही है।

  • अब आप  सोचिए यह कैसे संभव हूआ ?
जैसे कि आप सबको पता ही है कि रामायण और अन्य शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार बाल हनुमान जी को सूरज में फल नज़र आया था, इस से उन्हें खाने की इच्छा हूई। इस के बाद पवनपुत्र बाल हनुमानजी, सूरज को खानें 153 मिलियन किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े। उनको सूरज तक पहुंचता देख राहू ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह असफल रहे।
Lord hanumana

जब बाल हनुमानजी ने सूरज को निगल लिया तो सूरज को पुनः वापस पाने के लिए, इन्द्र ने उन पर वज्र से प्रहार किया, इन्द्र द्वारा हनुमानजी पर वज्र से प्रहार को देख कर पिता पवन देव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी वायू गति रोक दी। जिस से सृष्टि के समस्त जीव झटपटा ते मूर्छित वह मृत्यु के करीब पहुंच ने लगें। ऐसे समय ब्रह्माजी अन्य देवताओं सहित पवन देव के पास पहुंचे। उन्होंने तत्काल उनकी मूर्छा दूर की और उन्हें वरदान दिया कि हनुमानजी के मर्जी के बिना उन पर कोई भी अस्त्र – सस्त्र असर नहीं सकता, इस के अलावा अन्य देवताओं ने भी हनुमानजी को दुर्लभ शक्तियों से भर दिया। जिस से वह संकट मोचक बन गए।

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