मंत्रो की शक्ति को प्रमाणित करने वाली घटना।
मंत्रो की शक्ति को प्रमाणित करने वाली घटना।
"ॐ" |
इस के लिए हम कुछ उदाहरण प्रत्यक्ष जानने का प्रयास करेंगे। महर्षि पतंजलि ने अपने 2300 साल पूराने ग्रंथ में, एक बहुत ही सुंदर बात कही है, एक सूत्र में, एक फोरम्यूले में की, मन की किस अवस्था में आप इस प्रत्यक्ष ज्ञान को रखोगे। प्रत्यक्ष ज्ञान जिसका आप के पास में प्रमाण है। तो उन्होंने प्रमाण के स्वरूप में ग्रंथों को प्रमाणिक माना है। जो ग्रंथ हजारों सालों से सर्क्युलेशन में है, वह अपने आप में ही प्रमाणिक है। वह कल्पना नहीं है, लेकिन आधुनिक युग में, क्यूंकि यह ग्रंथ हमारे स्कूल और कॉलेज में नहीं पढ़ाए जाते। इसी लिए हमें उन पर कई बार शंका होने लगती है, लेकिन शंकाओं का कोई स्थान नहीं हैं, क्यूंकि वो अपने आप में सिद्ध ग्रंथ है, नहीं तो कोई भी ग्रंथ, कोई भी किताब, कोई भी बेस्ट सेलर एक या दो साल के बाद सरक्युलेशन से बाहर होने लगते हैं। जब की यह ग्रंथ हजारों सालों से सर्क्युलेशन में है। इसका गहरा अर्थ यह है, कि कहीं न कहीं यह बड़े सत्य ग्रंथ है, परमसिद्ध ग्रंथ है, कहीं न कहीं सब्जेक्टिव है, कही न कहीं बहुत स्पष्ट है और परफेक्ट है। उनके सिद्ध किए हुए फोर्मूले ग्रंथों में संकलित हैं। हम उन ग्रंथों को आधार मानते हैं। यह हमारा बहुत ही स्पष्ट मत है।
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उन्हीं के आधार को मानते हुए हम अपनी यात्रा आरंभ करते हैं, और उनके लाभ को हम जीवन में अनुभव करते हैं।और जब उनके लाभों को आप जीवन में अनुभव करते हैं, तो उन अनुभव को हम साधारण अनुभव नहीं कहते हैं, हम उनको असाधारण भी नहीं कहते, हम उनको सपना भी नहीं कहते, हम उनको कल्पना भी नहीं कहते, हम उनको कहते हैं दिव्य अनुभव।(Divine Experience).
जब जब आप मंत्रों की गहराई में जाओगे, तो आपको दिव्य अनुभव होंगे। और यह दिव्य अनुभव, हमारे जीवन में उस बात को सिद्ध करते हैं और उस बात को प्रमाणित करते हैं जो हमारे ग्रंथों में लिखा है।
ऐसा वहां पर इस लिए हुआ क्यूंकि वहां पर चावल, यज्ञ की सामग्री आदि भी एकत्रित थीं और उन परिवारों में बहुत ही निष्ठा से मंत्रों का उच्चारण रेग्युलरली हुआ करता था। और यह प्रमाणित हुआ बाद में और शोध इसके ऊपर करी गई, कि जब इस प्रकार मंत्रों के साथ में यह हवन होता है तो वहां का वातावरण शुद्ध हो जाता है, और उस शुद्ध वातावरण में बाहर की कोई भी नेगेटिविटी, या बाहर का कोई भी जहरीलापन, या बाहर का कोई भी विजातीय तत्व उस कवच में प्रवेश नहीं कर पाता। और प्रवेश कराता भी है तो वह न्यूट्रल हो जाता है।
तो यह एक सबसे बड़ा प्रमाण,भोपाल गैस त्रासदी के दरमियान हूई घटना में, मंत्रो के और यज्ञ के प्रभाव को प्रमाणित करता है। की मंत्र कितने प्रभावशाली होते हैं।
हमारी इन पोस्ट को भी जरूर पढ़े।
सात चक्र और उन्हें जागरूक करने के मंत्र।
Gayatri mantra |
जब जब आप मंत्रों की गहराई में जाओगे, तो आपको दिव्य अनुभव होंगे। और यह दिव्य अनुभव, हमारे जीवन में उस बात को सिद्ध करते हैं और उस बात को प्रमाणित करते हैं जो हमारे ग्रंथों में लिखा है।
भोपाल गैस त्रासदी
Bhopal Gas Disaster |
एक घटना जो कि दुनिया की लाइट में आई थीं, कुछ समाचार पत्रों में भी छपी थी, की जब दुनिया का सबसे बड़ा इंडस्ट्रीयल डिजास्टर हुआ था, भोपाल गैस त्रासदी हुई थी, उस समय कुछ दो परिवार जो की उस फेक्ट्री के महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके घर, उनके यहां कोई भी मौत नहीं हुई। जब की चारों और मौत का तांडव हो रहा था। तो शोधकर्ताओं को यह मालूम पड़ा तब उन्हें हुआ कि यह कैसे संभव है, तो उन्होंने ख़ोज करी, और उन परिवारों की जांच कर यह पाया कि, उन परिवारों में नित्य प्रति दिन मंत्रोंचार के साथ मैं यज्ञ हवन हुआ करतें थे। मंत्रोंचार का प्रभाव उस परिवार में इस प्रकार रहा की चारों और एक नया आभा मंडल बना, चारों ओर एक एसी दिशा बनीं, एक कवच बन गया की जिस से वह गैस उनको प्रभावित नहीं कर पाई।
ऐसा वहां पर इस लिए हुआ क्यूंकि वहां पर चावल, यज्ञ की सामग्री आदि भी एकत्रित थीं और उन परिवारों में बहुत ही निष्ठा से मंत्रों का उच्चारण रेग्युलरली हुआ करता था। और यह प्रमाणित हुआ बाद में और शोध इसके ऊपर करी गई, कि जब इस प्रकार मंत्रों के साथ में यह हवन होता है तो वहां का वातावरण शुद्ध हो जाता है, और उस शुद्ध वातावरण में बाहर की कोई भी नेगेटिविटी, या बाहर का कोई भी जहरीलापन, या बाहर का कोई भी विजातीय तत्व उस कवच में प्रवेश नहीं कर पाता। और प्रवेश कराता भी है तो वह न्यूट्रल हो जाता है।
तो यह एक सबसे बड़ा प्रमाण,भोपाल गैस त्रासदी के दरमियान हूई घटना में, मंत्रो के और यज्ञ के प्रभाव को प्रमाणित करता है। की मंत्र कितने प्रभावशाली होते हैं।
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