स्वयं महादेव ने बचाई थी अंग्रेज अफसर की जान।
स्वयं महादेव ने बचाई थी अंग्रेज अफसर की जान। |
बैजनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश |
आज हम आपको एक ऐसी घटना से रुबरु कराएंगे जिससे देवों के देव महादेव के प्रति आपका विश्वास और अटूट हो जाएगा।
1879 में स्वयम महादेव ने बचाई थी अंग्रेज अफसर की जान, और उस अफसर ने करवाया था महादेव के मंदिर का नवीनीकरण। महादेवजी जैसा दयालु इस पूरे ब्रह्मांड में कोई नहीं है। आज एक एसी सत्य घटना बताने जा रहे हैं, जो अंग्रेज शासन के समय की है। इस कहानी को एक अंग्रेज अफसर ने अपनी किताब में लिखा है। पूरी कहानी जानने के बाद आपको यकीन हो जाएगा की भक्ति में बहुत शक्ति है। और सच्चे मन से महादेव को याद किया जाएं तो महादेव जरुर आते हैं।
सन् 1879 में भारत पर अंग्रेजों की हुकूमत थी, बहुत से अंग्रेज अपने पूरे परिवार सहित भारत में ही रहते थे। ऐसा ही एक परिवार था लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन का, यह एक सादी-सुदा नया जोड़ा था। कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश के आगर में रहते थे। आगर में महादेव का कइ सालों पुराना बैजनाथ मंदिर था, उस मंदिर में कर्नल मार्टिन की पत्नी कभी गई नहीं थी। लेकिन मंदिर के बाहर से निकलते वक्त मंत्रो की ध्वनी उन्हें बहुत अच्छी लगती थी।
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1.आज हम आपको बताएंगे कि, कैसे महादेव ने इस अंग्रेज अफसर को बचाया था ?
2.और इसका कारण करता था ?
3. वियतनाम में मिला शिवलिंग.
3.वियतनाम में मिला शिवलिंग।
एक दिन कर्नल मार्टिन को युद्ध लड़ने के लिए अफगानिस्तान जाना पड़ा। कर्नल मार्टिन अफगानिस्तान के युद्ध के दौरान अपनी सेना का नेतृत्व कर रहे थे। युद्ध काफी दिन चला। और कर्नल मार्टिन अफगानिस्तान से अपनी पत्नी को चिट्ठी भेजा करते थे। अपने पति की चिट्ठी देख वो निश्चिंत हो जाती थी। लेकिन कुछ दिनो के बाद, चिट्ठी आना बंद हो गई। कर्नल मार्टिन की पत्नी बहुत परेशान हुई। उनके मन में बूरे ख्याल आने लगे, उनको लगने लगा कि कहीं कोई अहित न हो गया हों। इस बैचेनी की हालत में कर्नल मार्टिन की पत्नी एक दिन रास्ते में पड़ने वाले महादेव के बैजनाथ मंदिर में गइ। उन्हें यह तो पता था कि यह किसी भगवान का मंदिर है, लेकिन हिंदू धर्म के बारे में और भगवान शिव के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था। कर्नल मार्टिन की पत्नी ने पुजारी जी से अपनी परेशानी का कारण बताया। पुजारी जी ने उनसे कहा कि यह मंदिर कालों के काल महाकाल का है इस संसार में सिर्फ यही है जो आप के पति को बचा सकते हैं। पुजारी जी ने कर्नल की पत्नी को “ॐ नमः शिवाय” मंत्र दिया और कहा इस मंत्र को ग्यारह दिनों तक जपना और हर रोज मंदिर आना यह लघुरुद्र अनुष्ठान है। कर्नल की पत्नी हर रोज महादेव के बैजनाथ मंदिर आती और वही बैठ कर मंत्र का जाप करतीं रहतीं और भगवान शिव से अपने पति की रक्षा करने का वरदान मांगती रहतीं। हर रोज मंदिर जान से कर्नल की पत्नी भगवान शिव के बारे में बहुत कुछ जान गई और उनकी भक्ति में लीन हो गई। इसी बीच कर्नल की पत्नी ने यह संकल्प लिया कि अगर उनके पति सही सलामत लौट आते हैं तो वो मंदिर का नवीनीकरण करवा देंगी।
कर्नल की पत्नी ने ग्यारह दिनों तक भगवान शिव की पूजा की और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप भी किया। बहुत दिनों से कर्नल मार्टिन के खत नहीं आ रहें थे लेकिन ग्यारह दिनों बाद का अनुष्ठान खतम होते ही ग्यारहवे दिन मार्टिन का ख़त आया, खत देख कर उनकी पत्नी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। ख़त आने का यह मतलब था कि उनके पति जिंदा है, और जब उन्होंने इस ख़त को पढ़ा तो फूट-फूट कर रोने लगी और उनके होश उड़ चुके थे। उस ख़त में कर्नल मार्टिन ने यह बात लिखी थी, जो उनके साथ अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान हुई थी। यह कोई साधारण घटना नहीं बल्कि एक अलौकिक घटना थी।
कर्नल मार्टिन ने उस ख़त में लिखा था कि मैं तुम्हें रोज़ ख़त लिखता था, लेकिन एक दिन अचानक हमारी सेना को पठान मुस्लिमों ने चारों ओर से घेर लिया था। इस कारण वश यह सभी ख़त में तुम्हें भेज नहीं पाया, हम इतनी बूरी तरह गीर चुके थे कि हमारा जिंदा बच निकलना नामुमकिन था। लेकिन एक दिन एक हिंदू योगीयो की तरह दिखने वाले साधु, हमारे पास आए उनके हाथों में त्रिशूल था और लंबे – लंबे बाल थे, उन्होंने शेर की खाल अपने शरीर पेंशन लपेट रखी थी। वह बहुत ही शक्तिशाली थे, और उन्होंने अपने त्रिशूल को इतनी तेजी से चलाना चालू किया कि सभी पठान डर के मारें पीछे हट ने लगें। आज हम जिंदा है तो उन योगी के कारण जो शेर की खाल पहने हुए था और त्रिशूल लिए हुए था। जब सभी पठान वहां से चले गए तब उन योगी ने मुझसे कहा कि तुम्हें डर ने की जरूरत नहीं है, में तुम्हें बचाने ही आया हूं। मैं तुम्हारी पत्नी की पूजा से प्रसन्न हूं। तुम्हें सुरक्षित घर पहुंचाना अब मेरी जिम्मेदारी है।
उसके बाद कर्नल मार्टिन जब अफगानिस्तान से वापस लौटकर उनकी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश के आगर में स्थित बैजनाथ मंदिर में आशिर्वाद लेने गए तब मार्टिन को भगवान शिव की फोटो देखकर पूरा यकीन हो गया कि अफगानिस्तान वाले योगी इन्हीं के समान है। इस घटना के बाद कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी पक्के शिव भक्त बन गए। सन् 1883 में कर्नल मार्टिन ने 15,000 रुपए मंदिर के नवीनीकरण के लिए दान दिए थे। आज भी मंदिर में न कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी का नाम स्मृति चिन्ह के रूप में है। मध्य भारत में सिर्फ यही एक मंदिर है जिसका नवीनीकरण एक अंग्रेज अफसर ने करवाया था।
1.आज हम आपको बताएंगे कि, कैसे महादेव ने इस अंग्रेज अफसर को बचाया था ?
2.और इसका कारण करता था ?
3. वियतनाम में मिला शिवलिंग.
3.वियतनाम में मिला शिवलिंग।
एक दिन कर्नल मार्टिन को युद्ध लड़ने के लिए अफगानिस्तान जाना पड़ा। कर्नल मार्टिन अफगानिस्तान के युद्ध के दौरान अपनी सेना का नेतृत्व कर रहे थे। युद्ध काफी दिन चला। और कर्नल मार्टिन अफगानिस्तान से अपनी पत्नी को चिट्ठी भेजा करते थे। अपने पति की चिट्ठी देख वो निश्चिंत हो जाती थी। लेकिन कुछ दिनो के बाद, चिट्ठी आना बंद हो गई। कर्नल मार्टिन की पत्नी बहुत परेशान हुई। उनके मन में बूरे ख्याल आने लगे, उनको लगने लगा कि कहीं कोई अहित न हो गया हों। इस बैचेनी की हालत में कर्नल मार्टिन की पत्नी एक दिन रास्ते में पड़ने वाले महादेव के बैजनाथ मंदिर में गइ। उन्हें यह तो पता था कि यह किसी भगवान का मंदिर है, लेकिन हिंदू धर्म के बारे में और भगवान शिव के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था। कर्नल मार्टिन की पत्नी ने पुजारी जी से अपनी परेशानी का कारण बताया। पुजारी जी ने उनसे कहा कि यह मंदिर कालों के काल महाकाल का है इस संसार में सिर्फ यही है जो आप के पति को बचा सकते हैं। पुजारी जी ने कर्नल की पत्नी को “ॐ नमः शिवाय” मंत्र दिया और कहा इस मंत्र को ग्यारह दिनों तक जपना और हर रोज मंदिर आना यह लघुरुद्र अनुष्ठान है। कर्नल की पत्नी हर रोज महादेव के बैजनाथ मंदिर आती और वही बैठ कर मंत्र का जाप करतीं रहतीं और भगवान शिव से अपने पति की रक्षा करने का वरदान मांगती रहतीं। हर रोज मंदिर जान से कर्नल की पत्नी भगवान शिव के बारे में बहुत कुछ जान गई और उनकी भक्ति में लीन हो गई। इसी बीच कर्नल की पत्नी ने यह संकल्प लिया कि अगर उनके पति सही सलामत लौट आते हैं तो वो मंदिर का नवीनीकरण करवा देंगी।
कर्नल की पत्नी ने ग्यारह दिनों तक भगवान शिव की पूजा की और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप भी किया। बहुत दिनों से कर्नल मार्टिन के खत नहीं आ रहें थे लेकिन ग्यारह दिनों बाद का अनुष्ठान खतम होते ही ग्यारहवे दिन मार्टिन का ख़त आया, खत देख कर उनकी पत्नी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। ख़त आने का यह मतलब था कि उनके पति जिंदा है, और जब उन्होंने इस ख़त को पढ़ा तो फूट-फूट कर रोने लगी और उनके होश उड़ चुके थे। उस ख़त में कर्नल मार्टिन ने यह बात लिखी थी, जो उनके साथ अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान हुई थी। यह कोई साधारण घटना नहीं बल्कि एक अलौकिक घटना थी।
कर्नल मार्टिन ने उस ख़त में लिखा था कि मैं तुम्हें रोज़ ख़त लिखता था, लेकिन एक दिन अचानक हमारी सेना को पठान मुस्लिमों ने चारों ओर से घेर लिया था। इस कारण वश यह सभी ख़त में तुम्हें भेज नहीं पाया, हम इतनी बूरी तरह गीर चुके थे कि हमारा जिंदा बच निकलना नामुमकिन था। लेकिन एक दिन एक हिंदू योगीयो की तरह दिखने वाले साधु, हमारे पास आए उनके हाथों में त्रिशूल था और लंबे – लंबे बाल थे, उन्होंने शेर की खाल अपने शरीर पेंशन लपेट रखी थी। वह बहुत ही शक्तिशाली थे, और उन्होंने अपने त्रिशूल को इतनी तेजी से चलाना चालू किया कि सभी पठान डर के मारें पीछे हट ने लगें। आज हम जिंदा है तो उन योगी के कारण जो शेर की खाल पहने हुए था और त्रिशूल लिए हुए था। जब सभी पठान वहां से चले गए तब उन योगी ने मुझसे कहा कि तुम्हें डर ने की जरूरत नहीं है, में तुम्हें बचाने ही आया हूं। मैं तुम्हारी पत्नी की पूजा से प्रसन्न हूं। तुम्हें सुरक्षित घर पहुंचाना अब मेरी जिम्मेदारी है।
उसके बाद कर्नल मार्टिन जब अफगानिस्तान से वापस लौटकर उनकी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश के आगर में स्थित बैजनाथ मंदिर में आशिर्वाद लेने गए तब मार्टिन को भगवान शिव की फोटो देखकर पूरा यकीन हो गया कि अफगानिस्तान वाले योगी इन्हीं के समान है। इस घटना के बाद कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी पक्के शिव भक्त बन गए। सन् 1883 में कर्नल मार्टिन ने 15,000 रुपए मंदिर के नवीनीकरण के लिए दान दिए थे। आज भी मंदिर में न कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी का नाम स्मृति चिन्ह के रूप में है। मध्य भारत में सिर्फ यही एक मंदिर है जिसका नवीनीकरण एक अंग्रेज अफसर ने करवाया था।
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