“नाज़ी बेल” हिटलर की बनाई हुई एक टाइम मशीन

““नाज़ी बेल” हिटलर की बनाई हुई एक टाइम मशीन

The photo of Nazi Bell
Nazi Bell Photos From Internet

हिटलर” सिर्फ नाम लेते ही सामने एक तस्वीर खड़ी हो जाती है। एक तानाशाह, एक हत्यारा, हजारों लोग हजारों नजरीए से इस इन्सान को देखते है। कुछ लोगों को मानव के रूप में दानव नज़र आता है, हजारों लोगों को उसमें एक हत्यारा नज़र आता है।

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जब हिटलर ने जर्मनी में भर दी राष्ट्रवाद की ऊर्जा।

The Photo of Nazi tanasah Hitler
The Photo of Hitler From Internet

मगर यह तों मानना पड़ेगा कि हिटलर ने जर्मनी मैं राष्ट्रवाद की नई उर्जा भर दी थीं। महज़ कुछ ही सालों में डूबता हुआ जर्मनी ने सिर्फ दुनिया पर राज करने का सपना देखने लगा था, बल्कि लगभग उसने ऐसा कर ही दिया था।

जब हमने इस इन्सान को अपने नजरिए से देखा तो हमें हिटलर औरों से काफी अलग लगा। बहुत से लोगों को पता नहीं पर हिटलर प्राचीन भारत के ग्रंथों और उनमें समाए ज्ञान से बहुत आकर्षित था, और उसे इनका महत्त्व भी भलीभांति पता था। और इसका सबसे बड़ा प्रमाण नाज़ी पार्टी का चिन्ह जिसे हिन्दू धर्म के स्वस्तिक को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था। हां पर उसे हम स्वस्तिक नहीं मान ‌सकते।

हिटलर खुद को और जर्मन लोगों को आर्यन कहता था।

यह बात तों सब लोग जानते हैं कि हिटलर अपने आप को और पूरे जर्मन लोगों को आर्यन कहता था। जो कि आर्य शब्द से लिया गया है, आर्य शब्द का सबसे पहले उपयोग ऋग्वेद में किया गया था और इसका मतलब है सम्मान करने योग्य। रामायण के अनुसार प्रभु श्रीराम भी एक आर्य थें। आज के भारत में लगभग 65% लोग आर्यवंश है और भारत में एक और महान वंश रहता है द्रविड़ वंश।

हिटलर को हिंदू धर्म ग्रंथों से लगाव क्यूं था ?

कहा जाता है कि नाज़ी शासक हिटलर और उसके काफी बड़े-बड़े अफसरों को भारतीय संस्कृति के प्राचीन ग्रंथों के प्रति अपार आकर्षण था। और कथित तौर पर यह बताया जाता है कि हिटलर ने साल 1938 से लेकर 1939 तक भारत में एक अभियान चलाया। जिसका उद्देश्य भारतीय ग्रंथों का संकलन करना और संस्कृत के  मनुस्क्रिप्ट को ढूंढना था। और संस्कृत के जानकारों को अपने साथ ले गया। साथ ही कहा तो ये भी जाता है कि नाज़ी जर्मनी ने एक टीम भी बनाई थी जो कि रामायण और महाभारत में वर्णित असुरों के निर्माण की संभावना तलाशते थें।

भारतीय विमान शास्त्र से प्रेरणा लेकर "द बेल" को बनाया।

हिटलर ही वो पहले इन्सान थे जिन्होंने प्राचीन भारतीय विमान शास्त्र से प्रैरणा लेकर मर्क्युरी वोर्टेक्ष इंजन बनाया था। जिसका उपयोग कथित तौर पर बनी “द बेल” नाम की टाइम मशीन में किया गया था। 
Real photo of Nazi bell
The Image of Nazi Bell (From Internet)

आप सभी मंदिर तों जरूर गए होंगे हर मंदिर के बाहर एक “घंटा” लटका हुआ होता है। हिटलर और उनके साथियों का कहना था कि घंटे में लटका पेंडुलम एक ऊर्जा का निर्माण करता है और इसकी मदद से समय यात्रा या अत्याधिक तेजी से अंतरिक्ष की यात्रा कर सकते हैं। इसी आधार पर उन्होंने “द बेल” नाम की टाइम मशीन का निर्माण किया। जो दिखने में बिल्कुल घंटे की तरह ही थी। उसके बीच में मर्क्युरी वोर्टेक्ष इंजन बिठाया गया था। जहां मर्क्युरी यानी कि पारे का आयनाइजेशन होता था और वह प्रर्याप्त ऊर्जा का निर्माण करता था। साथ ही हिटलर का यह मानना था कि मंदिरों में लगें हुए घंटे का उपयोग सतयुग और त्रेतायुग में होता था। द्वापर युग में उसका उपयोग न के बराबर होने लगा। और कलयुग में यह बिल्कुल ही बंद हो गया।

क्या सच में हिटलर अपना बदला लेने लौटेंगे ?

अगर हम कुछ अफवाहों की मानें तो हिटलर ने आत्महत्या की ही नही थीं बल्कि वो इस टाइम मशीन “द बेल” के जरिए भविष्य में चलें गए थे। और उनकी मानें तो हिटलर अपना बदला लेने फिर ज़रुर आएंगे।
हम आशा करते हैं कि आप सभी को हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी धन्यवाद।

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