रोयल एनफील्ड की सफलता की कहानी।
रोयल एनफील्ड की सफलता की कहानी।
Royal Enfield (Image from internet) |
आपने कई बार कहीं न कहीं युवाओं को कहते सुना होगा कि बाइक हों तो बुलेट जैसा, सायद इसी लिए यह बाइक रोड़ से ज्यादा लोगों के दिलों पर राज करती है, और इसकी एडवरटाइजिंग भले ही टेलिविजन पर न देखि हों लेकिन इस बाइक की ताकत से कोई भी अंजान नहीं है।
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कहां से हुई थीं रोयल एन्फिल्ड की शुरुआत ?
Founder Photo (Image From Internet) |
आज हम बात करेंगे रोयल एनफील्ड के बारे में जिस के न सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में करोड़ों चाहक है और इस ब्रांड की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की रोयल एनफील्ड के कस्टमर्स इतने लोयल होते हैं की इस की नई बाइक के लिए कई महीनों तक इंतजार कर सकते हैं और हा एक बात यह भी है कि रोयल एनफील्ड को एक इंडियन ब्रांड के तौर पर माना जाता है।लेकिन आप को यह जानकर हैरानगी होगी की, इस की शुरुआत लगभग 127 साल पहले इंग्लैंड में हूई थी। और फिर आगे चलकर यह भारतीय ब्रेंड कैसे बना ? इस के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।
Four Wheel cycle (Image From Internet) |
शुरू से जानते हैं, रोयल एनफील्ड कि सफलता की कहानी। रोयल एनफील्ड कि शुरुआत एलबर्ट एड़ि और आर. डब्ल्यू. स्मिथ ने साल 1892 में की थी, और उस समय इस कंपनी का नाम था एंड़ि मेन्युफेक्चरिंग लिमिटेड जो कि रोयल स्मोल आर्म फेक्ट्री के लिए बंदूक के लिए छोटे-छोटे पार्ट्स बनाने का काम करती थी और फिर आगे चलकर साल 1896 में एंड मेन्युफेक्चरिंग के अंतर्गत एक और कंपनी बनाई, जिस का नाम दिया गया “द न्यू एन्डफिड सायकल कंपनी” यह कंपनी मुख्य रूप से सायकल और उसके कंपोनेंट्स बनातीं थी। कुछ सालों बाद कंपनी ने नई सोच के साथ आगे बढ़ने का फ़ैसला किया, और फिर साल 1899 में उन्होंने चार पहियों वाली सायकल बनाई, और फिर 2 साल बाद 1901 में साइकिल पर एक इंजन जोड़कर एनफिल्ड ने अपनी पहली मोटर साइकिल लोंच की। जिस में उन्होंने “मीनरवा” नाम की कंपनी का इंजन उपयोग में लिया था। और फिर साल 1903 में एनफिल्ड कंपनी ने कार प्रोडक्षन में भी अपना कदम बढ़ा दिया। हालांकि उन्हें इस बिज़नेस से अगले कुछ सालों में बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा। और इस लिएी उन्होंने साल 1907 में अपनी कार बनाने वाली कंपनी को ओलडेन ओनियन्स नाम की कंपनी को बेच दी।
कब मिलीं पहली सफलता ?
Old Enfield (Image from internet) |
लेकिन मोटरसाइकिल बनाने में ध्यान देने के बाद एनफिल्ड को सबसे बड़ी सफलता साल 1914 में मिलीं। जब पहले वर्ल्ड वॉर के दौरान उन्हें ब्रिटिश वॉर डिपार्टमेंट को मोटरसाइकिल सप्लाय करने का एक बड़ा ओडर मिला। और फिर इंपिरियल रशियन गवर्नमेंट ने भी उन्हीं से मोटरसाइकिल खरीद ने का फ़ैसला किया। यहां से एनफिल्ड की मोटरसाइकिल बहुत ही तेज़ी से प्रसिद्ध होने लगी। और फिर दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान ब्रिटिश अथोरिटीस ने एनफिल्ड के साथ मिल्ट्री मोटरसाइकिल बनाने का एक बड़ा कोन्ट्राक्ट साइन किया। और फिर दूसरे विश्व युद्ध में एनफिल्ड कि मोटरसाइकिल्स बहुत बड़े स्तर पर उपयोग की गई।
रोयल एन्फिल्ड इंडिया की किस कंपनी के साथ मर्ज हुई ?
भारत में एनफिल्ड को साल 1949 में लाया गया था। हालांकि लोगों ने इसे साल 1954 से पसंद करना शुरू किया। जब भारतीय सरकार ने पुलिस और आर्मी के लिए इस मोटरसाइकिल का उपयोग किया था। और उस समय 350 CC मोडल की 800 मोटरसाइकिल मंगवाई गई थी। साल 1955 में एनफिल्ड कंपनी ने मद्रास कंपनी से पार्टनरसिप की और कुछ इस तरह से “रोयल एनफिल्ड इंडिया” कंपनी की शुरुआत हुई। मद्रास कंपनी ने पहली बार 350 CC की मोटरसाइकिल बेची थीं। जिस के कंपोनेंट्स वह इंग्लैंड से मंगवाते थे। और फिर साल 1962 में मोटरसाइकिल के सारे कंपोनेंट्स भारत में ही बनने लगे।
किस इन्सान ने 21वीं सदी में रोयल एन्फिल्ड को संभाला ?
हांलाकि आगे चलकर एन्फिल्ड इंग्लैंड को जबर्दस्त घाटा हुआ। और इसी लिए 1971 में वह कंपनी बंद करनी पड़ी। लेकिन भारत में प्रोडक्षन चालु रखा गया। हालांकि भारत में भी इस कंपनी को घाटा हो रहा था। इसी लिए कंपनी आगे चलकर आइशर मोटर ग्रुप के साथ मर्ज हों गई। और फिर आइसर ग्रुप के मालिक विक्रमलाल के बेट सिद्धार्थ ने साल 2000 आउटलेट्स और मार्केटिंग के दम पर फिर से इस मोटरसाइकिल्स के सेल बढ़ा दिए। क्यूंकि उन्होंने समय के हिसाब से डिजाइन मैं परिवर्तन किया था और एन्फिल्ड बाइकर्स के लिए अलग-अलग राइड भी आर्गेनाइज करती हैं। जिस से लोगों में भी इस मोटरसाइकिल का क्रेज़ बढ़ता है। और आज के समय में रोयल एन्फिल्ड मोटरसाइकिल्स केवल भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, साउथ अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया जैसे 50 से ज़्यादा देशों में बेंचे जातें हैं।
हम आशा करते हैं कि आप को हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी धन्यवाद।
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